Saturday, 15 November 2008

“सपनों का नया वर्ष”

अधिकार हमारी जिम्मेदारियों से बड़े नहीं हो सकते,
अधिकारों की सुरक्षा करने नया वर्ष ये विश्वास मांगता |

कैसे दूँ सौगात दर्द की,नया वर्ष उपहार मांगता,
भरी हुई नफरत सीने में,नया वर्ष ये प्यार मांगता,

दूजे हो गए अपने पराये,सपने वादे टूट गए,
अनजाने अजनबी सरीखा,नया वर्ष इकरार मांगता,

बौने हो गए रिश्ते नाते,गली-गली में चीख यहाँ,
नया वर्ष चौराहे आकर,सबसे आज बहार मांगता,

तारीफ करते-करते जो,तारीफ के काबिल न रहा,
उन सबको प्रेरित करने,नया वर्ष ये भीख मांगता,

शहरों.गावों,चौराहों पर,है भीर जमी नेताओं का..!
देश को सवारने का ,नया वर्ष माहौल मांगता,

उरनेवाला आज पखेरू,घायल किसके हाथ हुआ,
टूटे पर को हाथ लिए,नया वर्ष इज़हार मांगता,

प्रेरणा देने वाला संसार आज,प्रेरित करना भूल गया,
बीते साल को भूलने को,नया वर्ष तैयार मांगता,

कितने ख्वाब सजाकर हमने,दफनाया बीते साल को,
इच्छा है कुछ कर गुजरने की,नया वर्ष ये संकल्प मांगता |

2 comments:

Unknown said...

abe sahi banaa hai

hemant kumar said...

very good poem yar
carry on