Thursday 20 November 2008

" अरमान अभी तक बाकी है "

यूँ तो हम हो गए जुदा,पर पहचान अभी तक बाकी है,
मिलने का फिर भी अपना, अरमान अभी तक बाकी है |


इश्क का जूनून था, अपनी सांसों को तेरे नाम किया,
तेरी जुदाई है अब मुकद्दर मेरा, कुछ खास अभी तक बाकी है,
मिलने का फिर भी अपना, अरमान अभी तक बाकी है |


इस शहर से उस शहर तक , तप रहा है आसमान,
जलती जमीं पर उसी तरह , जल जाना बाकी है,
मिलने का फिर भी अपना , अरमान अभी तक बाकी है |


आज उसकी याद ने तड़पाया बहुत, सपनो में आकर सताया बहुत,
बहुत हो गया अब इस जिंदगी का,नाम इंतजार लिख देना बाकी है,
मिलने का फिर भी अपना, अरमान अभी तक बाकी है |


कैसे बताऊँ जख्म अपने ,जज्बातों के खजाने हैं,
मेरी थी ,किसी की है,औरों का हो जाना बाकी है,
मिलने का फिर भी अपना, अरमान अभी तक बाकी है |

तुम्हे मुबारक हो महफिल-औ , रहे सलामत शमां भी ,
अपनी खातिर साकी का ,ईमान अभी तक बाकी है,
मिलने का फिर भी अपना, अरमान अभी तक बाकी है |


ख़ुशी मांगने हम निकले थे, दर्द महज ये क़र्ज़ मिला,
जी करता है रोने का,पर गान अभी तक बाकी है,
मिलने का फिर भी अपना, अरमान अभी तक बाकी है |

वाकिफ हैं हम आपकी , दिल-ओ-जां मुहब्बत से ,
फुर्सत में वाकिफ-ए-मुहब्बत का ,इकरार अभी तक बाकी है,
इसलिए, मिलने का अरमान अभी तक बाकी है |


कल फिर आयी वो सपने में, बोली 'दिल अब तक संभाले रखा है '
लगता है.....अन्दर का , "इंसान" अभी बाकी है..!!
इसलिए , मिलने का अरमान अभी तक बाकी है |

2 comments:

sudhirinmnnit said...

badhiya to hai bhai mager abhi kavita chodan kar padhai par dhayan de............

Anonymous said...

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