Thursday 20 November 2008

“सौभाग्य का सितारा”

मैं जानता हूँ मैं " सूरज " हूँ, पर और किसी ने नहीं जाना,
मंझधार है,भंवर है,पास है किनारा,
कश्ती किधर चली है कोई नहीं बताता,
न जाने कब कब चमकेगा मेरे सौभाग्य का सितारा |



मेरे ह्रदय में अंक भरती,खामोशी और तन्हाई है,
कभी-कभी वो मुहब्बत भरी,मधुर मुस्कान छलकाती है,
श्वास में है मिठास उनके,अदाओं का है खजाना,
न जाने कब बरसेगा उनके अदाओं का खजाना |



वो न इश्वर के उठाये उठेगा,जो गिर गया खुद के नज़र में,
उठना है मुझे उनके नज़र में,जो गए मुझे कई बार गिराकर,
वाणी में है मिठास उनके,होठों पर है बहाना,
न जाने कब चमकेगा मेरे सौभाग्य का सितारा |



दिन के सवेरे में " अपना " ही उजाला है,
दिल के तिमिर में पड़ा कब से ताला है,
ठोकरों से संभलकर मैंने कर लिया किनारा,
न जाने कब रंग लायेगा,मेरे सौभाग्य का सितारा |

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