रास्ता जितना मुश्किल होता है,
मंजिल उतना ही सुकून देती है,
पर लोगों को कौन समझाए,
रास्ते को खुद मुश्किल बना लेना भी,
उतनी ही परेशान करती है !
गर इतना ही गुरूर है खुद पर,
तो टेढ़े रास्तों को मत कोस अब,
आगे बढ़, कुछ हटकर कर,
हिम्मत रख, फिर देखना,
लाख हवाएं, आंधियां लाये,
जैसे बरखा की रिमझिम नहीं थमती,
उस बादल के बौछार की तरह,
तू भी समंदर(मंजिल) की ओर जायेगा,
और इस जग में छाएगा ।
मंजिल उतना ही सुकून देती है,
पर लोगों को कौन समझाए,
रास्ते को खुद मुश्किल बना लेना भी,
उतनी ही परेशान करती है !
गर इतना ही गुरूर है खुद पर,
तो टेढ़े रास्तों को मत कोस अब,
आगे बढ़, कुछ हटकर कर,
हिम्मत रख, फिर देखना,
लाख हवाएं, आंधियां लाये,
जैसे बरखा की रिमझिम नहीं थमती,
उस बादल के बौछार की तरह,
तू भी समंदर(मंजिल) की ओर जायेगा,
और इस जग में छाएगा ।
No comments:
Post a Comment